खाटू श्याम बाबा के प्रसिद्ध नाम | List of Famous Names of Khatu Shyam Baba and the Reason behind each name

खाटू श्याम जी को विभिन्न नामों से जाना जाता है। कुछ नाम बहुत प्रसिद्ध और सामान्य हैं लेकिन कुछ नाम अभी भी बहुत कम ज्ञात हैं। आज हम आपको खाटू श्याम बाबा के सभी प्रसिद्ध नामों ( Famous Names of Khatu Shyam Baba ) के बारे में बताएंगे और प्रत्येक नाम के पीछे का कारण भी बताएंगे।

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List of Famous names of Khatu Shyam Baba


बर्बरीक | Barbareek

महाभारत के समय अत्यधिक बलशाली गदाधारी भीम के पुत्र घटोत्कच का विवाह नाग कन्या मौरवी या मौर्वी से हुआ था। घटोत्कच और मौरवी की संतान बर्बरीक हुई। जो आगे चलकर श्याम के नाम से प्रसिद्ध हुए। 

मोर्वी नंदन | Morvi Nandan

मौर्वी (कामनकंता) की संतान होने के कारण बर्बरीक यानि श्याम बाबा को मौरवी नंदन या मौर्वी नंदन कहा जाता है। खाटू श्याम मेले के दौरान मौर्वी नंदन के जैकार खूब गूंजते है। 

तीन बाण धारी | Teen Baan Dhare

बर्बरीक अपने दादा और पिता की तरह वीर यौद्धा थे। वीर बर्बरीक के पास तीन बाण ऐसे थे जिससे वे संपूर्ण ब्रह्माण्ड को जीत सकते थे। इस लिए श्याम बाबा को तीन बाणधारी कहा जाता है। उनके जैसा संपूर्ण लोक में को धनुर्धर न तो था और न ही आज तक हुआ है।

शीश के दानी | Shash Ke Daane

महाभारत युद्ध के दौरान जब बर्बरीक अपनी मां से आशिर्वाद लेने पहुंचे तब मां ने उनसे हारे पक्ष का साथ देने का वचन लिया। यानि जिसकी युद्ध में हार होगी, वे उसकी तरफ से लड़ेंगे। भगवान श्रीकृष्ण सर्वव्यापी थे। उन्होंने पता था कि हार कौरवों की होनी है, ऐसे में बर्बरीक उनकी तरफ से युद्ध लड़ेंगे तो​ स्थि​ति बदल सकती है। ऐसे में उन्होंने ब्राह्मण का वेश धारण किया और फिर शीश मांग लिया। बर्बरीक ने अपना शीश दान कर दिया। इस कारण श्याम बाबा को शीश का दानी कहा जाता है।

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श्रीश्याम | Shreeshyam

श्री कृष्ण ने बर्बरीक को शीश दान मांगने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि युद्ध आरम्भ होने से पूर्व युद्धभूमि पूजन के लिए तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ क्षत्रिय के शीश की आहुति देनी होती है। इसलिए ऐसा करने के लिए वे विवश थे। बर्बरीक ने उनसे प्रार्थना की कि वे अन्त तक युद्ध देखने और अपना नाम उन्हें देने की प्रार्थना की। श्री कृष्ण ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। श्री कृष्ण इस बलिदान से प्रसन्न होकर बर्बरीक को युद्ध में सर्वश्रेष्ठ वीर की उपाधि से अलंकृत किया।साथ ही अपना नाम श्याम भी उन्हें दिया। 

कलियुग के अव​तार | Kaliyug ke Avataar

भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें श्याम नाम देने के साथ ही यह भी वरदान दिया कि वे कलियुग में पूजे जाएंगे। इसलिए उन्हें कलियुग का अवतारी भी कहा जाता है। अभी ​कलियुग चल रहा है और ऐसे में श्याम बाबा भक्तों की आस्था के केंद्र है। हर साल लाखों की संख्या में भक्त बाबा के दरबार में आकर हाजिरी लगाते है।

लीले का अश्वार | Leele ka Ashvar

श्याम बाबा को लीले का अश्वार कहा जाता है। दरअसल, वीर बर्बरीक के पास नीले रंग का घोड़ा था। नीले रंग को स्थानीय भाषा में लीला भी कहा जाता है। इस लिए उन्हें नीले के अश्वार या लीले के अश्वार कहा जाता है। 

लखदातार | Lakhadatar

श्याम बाबा की महिमा निराली है। कहा जाता है कि जिस पर श्याम बाबा की कृपा होती है, वह हर तरह से संपन्न हो जाता है। इस मान्यता के चलते श्याम बाबा को लखदातार कहा जाता है। यहीं वजह है कि श्याम बाबा के भक्तों में जहां सामान्य व्यक्ति भी है तो अमीर से अमीर। श्याम जी के मेले में पश्चिम बंगाल, आसाम, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात आदि से बड़ी संख्या में भक्त आते है। 

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हारे का सहारा | Haare Ka Sahara

जब सब जगह से निराश व्यक्ति श्याम बाबा की भक्ति में लीन हो जाता है तो उसके समस्त दुख और पाप समाप्त हो जाते है। इसलिए श्याम बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है। 

खाटू नरेश | Khatu Naresh

श्याम बाबा खाटू के शासक है। इसलिए उन्हें खाटू नरेश कहते है। 

मोरछड़ी धारक | Morachhade Dhaker

श्याम बाबा को चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिए श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तु मोरपंखी, बांसुरी भी उनको प्रिय है। मोरछड़ी रखने के कारण उन्हें मोरछड़ी धारक कहा जाता है।

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