भारतीय संस्कृति अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। क्योंकि इसकी वास्तुकला में जो विविधता देखने को मिलती है ।वह किसी अन्य देश में नहीं मिलती है। भारत के विषय में कहा भी जाता है कि मिस्र रोमा मिट गए जहां से कुछ ऐसी हस्ति हैं ऐसी हमारी मिटती नहीं। यह कथन वर्तमान में यथार्थ है। क्योंकि भारतीय संस्कृत ने जो सहिष्णुता और साथ ही साथ समन्वय की भावना उत्पन्न की है। ऐसा किसी देश ने और नहीं किया है क्योंकि भारत में अनेक आक्रमण हुए जैसे कि हूणों का आक्रमण और साथ ही साथ अरबों का आक्रमण और मंगोलों का आक्रमण अफगानों का आक्रमण। लेकिन इन आक्रमण के परिणाम स्वरूप भारतीय संस्कृति के छवि को धूमिल नहीं किया जा सकता। क्योंकि इसमें जो समन्वय की भावना है ।उसने अपने अंदर सबको समाहित कर लिया था। आज मैं ऐसे 20 मंदिर की चर्चा करने वाला हूं जो अपनी वास्तुकला से विदेशी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं। और साथ ही साथ यह मंदिर अपने आप में एक विशेष प्रतिभा लिए हुए आज तक सब लोगों का उद्धार कर रहा है
हिंदू धर्म के 20 मंदिर ऐसे हैं जो विश्व स्तर पर प्रसिद्धि पाए हुए है
हिंदू धर्म के 20 मंदिर इस प्रकार है-
(1)तिरुपति बालाजी का मंदिर
तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश की चित्तौड़ जिले के तिरुमाला पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। गौरतलब यह है कि भगवान विष्णु को श्री वेकण्टेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता प्राप्त है कि श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते थे। जिसके परिणाम स्वरूप उनके भक्त लोग उनके निवास स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया ।और यह मंदिर तिरुमाला पर्वत पर स्थित होने के कारण इस मंदिर का नामकरण तिरुपति बालाजी किया गया है। यह मंदिर अपनी विशेषताओं के लिए जाना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से तिरुपति बालाजी के द्वार पर आता है वह खाली हाथ कभी नहीं जाता है ।और जो भी पूरे मन से फरियाद करता है भगवान श्री तिरुपति बालाजी उसकी इच्छा की पूर्ति करते हैं। भगवान श्री तिरुपति बालाजी को फूल, फल, दही ,दूध ,मक्खन आदि चढ़ाया जाता है।
(2) अक्षरधाम मंदिर
अक्षरधाम का अर्थ है अनंत निवास अर्थात एक ऐसा निवास स्थान जहां पर शांति हो और साथ ही साथ करुणा हो और सदाचार हो सहनशीलता हो और दया की भावना हो ।यदि यह सब गुण एक स्थान पर मिल जाए उसे ही अनंत निवास कहाँ जाता है ।अक्षरधाम मंदिर दिल्ली के अरावली पर्वत के यमुना नदी के तट पर स्थित है ।यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है। जो हिंदू धर्म के एक महान संत थे। जो एक नव्यवेदांतवादी थे अर्थात उनके अंदर दया और सदाचार की भावना को प्रकट करता है ।इस मंदिर के अंदर भगवान स्वामीनारायण की जो प्रतिमा है वह 11 फीट लंबी है और वह प्रतिमा सोने की है। यदि आप एक बार उस प्रतिमा का दर्शन कर लेते हैं। इसकी ओर आप आकर्षण का अनुभव करने लगते हैं। क्योंकि आप उसकी ओर खिंचे चले जाते हैं।
(3) कामाख्या देवी मंदिर
कामाख्या देवी मंदिर असम के नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है। इसके पीछे की कहानी यह है कि जब ब्रह्मा के मानस पुत्र प्रजापति दक्ष ने शिव को सार्वजनिक यज्ञ में शामिल नहीं किया तो सती ने अपनी पिता द्वारा किए गए इस अपराध के लिए वह दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में आत्मदाह कर लेती है। जिसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर ब्रह्मांड में तांडव करने लगते हैं ।इस तांडव के परिणाम स्वरूप पूरा ब्रह्मांड में भूकंप सा आ जाता है ।और पशु -पक्षी और साथ ही साथ देव -दानव त्राहिमाम- त्राहिमाम करने लगते हैं जिसके परिणाम स्वरुप भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 108 टुकड़ों में विभाजित कर दिया। वह टुकड़ा भारत के अलग-अलग राज्यों में गिरा जिनमें से एक टुकड़ा असम के नीलांचल पहाड़ी पर गिरा और उसी पहाड़ी पर गिरने के कारण वहां मां सती का पूजा होने लगा ।आपको बता दें कि कामाख्या देवी मंदिर में योनि की पूजा की जाती है। सबसे रोचक बात यह है कि आषाढ़ के महीने में ब्रह्मपुत्र का पानी लाल हो जाता है ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मपुत्र का पानी लाल इसलिए होता है क्योंकि मां कामाख्या देवी के मासिक धर्म को सूचित करता है और इस दौरान कोई भी जो महिला मासिक धर्म से गुजर रही है उसे मंदिर में जाने से मनाही है।
(4) जगन्नाथ मंदिर
जगन्नाथ मंदिर पूर्वी उड़ीसा के पूरी जिले में अवस्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई 65 मीटर है। और ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार जगन्नाथ और साथ ही साथ बलभद्र और सुभद्रा की पूजा की जाती है। और ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोदगंगा ने करवाया था। यह मंदिर अपनी विशेषताओं के कारण जाना जाता है। जैसे यहां पर हर वर्ष रथ यात्रा और साथ ही साथ चंदन यात्रा, स्नान यात्रा और नव कलेवर की यात्रा की जाती है ।रथयात्रा में रथ को कार से खींचा जाता है और इस मंदिर से चैतन्य प्रभु आदि गुरु शंकराचार्य और साथ ही साथ निंबार्काचार्य जुड़े हुए है। क्योंकि जो भी व्यक्ति इस मंदिर के पास जाता है उसे जो शांति का अनुभव होता है इससे वह अवसाद ग्रस्त से मुक्ति हो जाता है।
(5) प्रेम मंदिर
प्रेम मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के समीप वृंदावन में स्थित है। प्रेम मंदिर का निर्माण जगतगुरु कृपालु महाराज ने करवाया था। जगत गुरु कृपालु महाराज ने प्रेम मंदिर का शिलान्यास सन 2001 में किया था ।और यह प्रेम मंदिर बनने में 11 वर्ष लगा ।और इस मंदिर को बनाने में लगभग 100 करोड रुपए खर्च हुए हैं। और साथ ही साथ यह मंदिर 125 फुट ऊंचा है और 122 फुट लंबा है और 124 फुट चौड़ा है ।यदि आप इस मंदिर को देखने के लिए जाते हैं तब आप इस मंदिर को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। क्योंकि इस मंदिर में प्रवेश करते ही फव्वारे और साथ ही साथ राधा और कृष्ण की मनोहर झांकियां और श्री गोवर्धन लीला, कालिया नाग का दमन और झूलन लीला की झांकियां दिखेगी। और कहीं-कहीं दीवारों पर जगत गुरु कृपालु महाराज की झांकियों का भी अंकन हुआ रहेगा ।यदि आप मन की शांति के लिए जाना चाहते हैं इस मंदिर में क्योंकि यहां जाने के बाद आपके अंदर राग- द्वेष की भावना खत्म हो जाएगी सिर्फ आपके अंदर प्रेम की भावना उमड़ेगी।
(6) काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण पर 1780 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था ।यह मंदिर हिंदू वास्तुकला का प्रतीक है। और ध्यान देने योग्य बात है कि यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है ।काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला में स्थित है ।प्राचीन काल से ऐसी मान्यता प्राप्त है कि जो भी व्यक्ति काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन और साथ ही साथ गंगा में स्नान करता है ।उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए मध्यकाल के सबसे बड़े संत आदि गुरु शंकराचार्य और रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद और महा श्री दयानंद गोस्वामी तुलसीदास भी आए। और सबसे बड़ी बात है यह है कि नरेंद्र मोदी द्वारा काशी कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है ।जिसके माध्यम से काशी विश्वनाथ मंदिर का क्षेत्रफल में वृद्धि की जा रही है।
(7) वैष्णो देवी मंदिर
वैष्णो देवी मंदिर त्रिकूट पर्वत पर स्थित है जो भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में स्थित है ।इस मंदिर में लक्ष्मी जी पार्वती एवं सरस्वती जी की मूर्ति है। और ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह उत्तर भारत का सबसे पवित्र पूजनीय स्थल माना जाता है ।इस मंदिर की देखरेख श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल नामक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है ।और साथ ही साथ जो भक्त माता वैष्णो का दर्शन करने के बाद भैरव बाबा का दर्शन करता है तभी माता वैष्णो का दर्शन पूर्ण माना जाता है ।यदि वह सिर्फ माता वैष्णो का दर्शन करता है बाबा भैरव का नहीं दर्शन करता है तो वह दर्शन अधूरा माना जाता है।
वैष्णोदेवी मंदिर
(8) सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ मंदिर गुजरात के वेरावल बंदरगाह पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण चंद्र देव द्वारा किया गया था। जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट रूप से मिलता है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है। यह सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिर है ।पुराणों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने करवाया था। इसके पीछे का कारण यह बताया जाता है कि प्रजापति दक्ष में चंद्र देव को श्राप दे दिया था। जिसके परिणाम स्वरूप चंद्रमा की आभा घटने लगी थी और तब चंद्रदेव ने भगवान शिव को तपस्या के माध्यम से प्रशन्न किया और और दक्ष के श्राप का निवारण बताया।
(9) वृहदीश्वर मंदिर
बृहदेश्वर मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो पूरी तरह ग्रेनाइट से निर्मित है और यह मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है। वृहदीश्वर मंदिर अपनी वास्तुशिल्प और भव्यता के लिए जाना जाता है और साथ ही साथ यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है। यह मंदिर द्रविड़ शैली का उत्कृष्ट कला है ।इस मंदिर का निर्माण चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने 1003 इसवी से लेकर 1010 ईसवी के बीच में करवाया इस मंदिर की ऊंचाई 67 मीटर है। यह मंदिर भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी गुंबद की छाया पृथ्वी पर नहीं पड़ती है।
(10) मीनाक्षी मंदिर
मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु राज्य की मदुरई जिले में स्थित है ।यह मंदिर भगवान शिव की पत्नी पार्वती को समर्पित है ।इस मंदिर का नामकरण मीनाक्षी इसलिए किया गया क्योंकि पार्वती की आंखों की रूपरेखा मछली की तरह थी ।ऐसी धारणा प्रचलित है कि भगवान शिव सुंदरेश्वर रूप में मलाई ध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह करने मदुरई आए थे ।जिसके परिणाम स्वरूप इस मंदिर की नींव रखी गई है। इस मंदिर का सबसे बड़ा उत्सव मीनाक्षी तिरूकल्याणम है और इसका आयोजन हर वर्ष अप्रैल के महीने में होता है और उसके बाद नवरात्रि एवं शिवरात्रि भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
(11) श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर
श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर द्रविड़ शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है ।यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। और इसकी एक विशेष बात यह है कि यह हिंदुओं का सबसे बड़ा तीर्थ यात्रा वाला मंदिर है। और इसे दुनिया का सबसे क्रियाशील मंदिर की भी संज्ञा दी जाती है। इस मंदिर में 21 गोपुरम बना हुआ है और जो लगभग 236 फीट में है पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर को निर्माण कराने का श्रेय गौतम ऋषि को दिया जाता है। क्योंकि गौतम ऋषि ने ही इस मंदिर का निर्माण करवाया था वह भी अपने तपोबल के माध्यम से।
(12) दक्षिणेश्वर काली मंदिर
दक्षिणेश्वर काली मंदिर पश्चिम बंगाल में स्थित है।इस मंदिर का निर्माण रानी राशमणि द्वारा किया गया था। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेष बात यह रही है कि यह मंदिर दार्शनिक वा धर्मगुरु कि कर्मभूमि रही है। इस मंदिर की सबसे बड़े पुजारी रामकृष्ण परमहंस जो स्वयं एक धर्मगुरु थे ।और साथ ही साथ विश्व स्तर पर हिंदू धर्म का परचम लहराने वाले विवेकानंद भी दक्षिणेश्वरी काली मंदिर से जुड़े हुए थे। यह मंदिर हुगली नदी के किनारे बसा हुआ है ।इस मंदिर की मुख्य देवी का नाम भवतारिणी है ।जिन्हें काली माता का एक रूप माना जाता है। यह आध्यात्मिक और साथ ही साथ सांस्कृतिक मंदिर है।
(13) उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है ।यह मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन जिले में अवस्थित है। इस मंदिर का वर्णन पुराणों और साथ ही साथ महाभारत और कालिदास द्वारा रचित मेघदूत में भी मिलता है। मेघदूत में कालिदास लिखते हैं कि यह मंदिर गुप्त काल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। और साथ ही साथ का ध्यान देने योग्य बात यह है कि इल्तुतमिश ने उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर का विध्वंस करा दिया था ।लेकिन इसके बाद आए शासकों ने इस मंदिर के सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार पर पुनः जोड़ दिया ।और इस मंदिर का जो ढांचा विध्वंस हो गया था उसे सही करा कर पहले जैसा करवा दिया। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता बात यह है कि महाशिवरात्रि के दिन विदेश से भी लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते है।
(14) लक्ष्मी नारायण मंदिर
लक्ष्मी नारायण मंदिर दिल्ली में स्थित है ।इसका जीर्णोद्धार बिरला ग्रुप ने करवाया था ।और साथ ही साथ ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस मंदिर का उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था 1938 में। यह मंदिर उड़ियन शैली में निर्मित है। इस मंदिर का बाहरी हिस्सा सफेद संगमरमर और लाल बालू पत्थर से बना हुआ है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि 1622 में वीर सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। और साथ ही साथ है इसका जीर्णोद्धार 1938 में में भारत के सबसे बड़े उद्योगपति बिरला ग्रुप में करवाया था।
(15) चिदम्बरम मंदिर
चिदंबरम मंदिर तमिलनाडु की चिदम्बरम जिले में स्थित है ।इस मंदिर का एक और नाम है नटराज मंदिर ।यह मंदिर चोल काल की है। इस इस मंदिर का गोपुरम भव्य है ।और साथ ही साथ मंदिर के शिखर सोने का है । यह मंदिर देवी पार्वती और शिव को समर्पित है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला शैली में बनी हुई है और मंदिर में कई कांस्य प्रतिमाएं भी है।
(16) ओटावा का हिन्दू मंदिर
ओटावा का हिंदू मंदिर ओंटारियो प्रांत में अवस्थित है। और इस मंदिर की विशेष बात यह है कि यहां मंदिर जन्माष्टमी ,नवरात्रि और दिवाली बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। और इस मंदिर के प्रमुख देवता शंकर भगवान लक्ष्मी जी, और पार्वती जी और साथ ही साथ गणेश भगवान है।
(17) अयोध्या का राम मंदिर
अयोध्या का राम मंदिर उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में सरयू नदी के तट पर बना हुआ है। यह मंदिर भगवान विष्णु के सातवें अवतार राम भगवान की जन्मभूमि और साथ ही साथ राम भगवान ने सरयू नदी में अपने नश्वर शरीर का त्याग करके बैकुंठ की ओर प्रस्थान किए थे। कार्बन-14 के अनुसार यह प्रमाणित हुआ है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद से पहले राम मंदिर स्थित था। बाबर ने राम मंदिर का विध्वंस कराकर बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था।
(18) पद्मनाथस्वामी का मंदिर
पद्मनाथ स्वामी का मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुवंतपुरम जिले में स्थित है ।यह मंदिर द्रविड़ शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर को 108 मंदिरों में से सर्वश्रेष्ठ मंदिर की संज्ञा दी जाती है। इस मंदिर का उल्लेख तमिल संतो द्वारा लिखे गए पांडुलिपियों में भी मिलता है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण मार्तंड वर्मा ने करवाया था। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और पुराण में भी मिलता है।
(19) श्री मरिअम्मन मंदिर
द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना श्री मरिअम्मन मंदिर सिंगापुर में अवस्थित है। इस मंदिर का निर्माण नारायण पिल्ले ने किया था।
(20) श्री द्वारकाधीश मंदिर
द्वारकाधीश मंदिर गुजरात के द्वारका में स्थित है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेष बात यह है कि इसमें 72 स्तंभ और 10 गोपुरम और इसका शिखर नुकीला है ।ऐसा कहा जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का दर्शन किया था यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है ।
निष्कर्ष
आज मैंने विश्व के जो 20 विश्व प्रसिद्ध मंदिरों के विषय में बताया है। वह मंदिर ना केवल सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। बल्कि आध्यात्मिक और समन्वय का भी परिचय देता है। और इनमें से कुछ मंदिर विश्व धरोहर की सूची में भी शामिल है।