ग्यारस की एकादशी’ को ही क्यों मानते खाटू श्याम का जन्मदिन?

खाटू श्याम जी, जिन्हें हारे का सहारा और शीश के दानी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध देवता हैं। उनके जन्मदिन को लेकर कई मान्यताएं हैं, लेकिन सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार, उनका जन्म फाल्गुन मास की ग्यारस तिथि को हुआ था।

इस तिथि को ही उनके जन्मदिन के रूप में मनाने के पीछे कई कारण हैं:

1. पौराणिक कथा:

एक पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम जी का जन्म एक राक्षस राजा, द्रौपदी के पुत्र और घटोत्कच के पोते बर्बरीक के रूप में हुआ था। बर्बरीक युद्ध में भाग लेना चाहते थे, लेकिन उनकी मां ने उन्हें युद्ध में तटस्थ रहने का वचन दिया था। बर्बरीक ने अपनी मां का वचन निभाने के लिए युद्ध में भाग नहीं लिया, लेकिन उन्होंने अपनी शक्ति का उपयोग हारे हुए पक्ष की मदद करने के लिए किया।

2. ज्योतिषीय महत्व:

फाल्गुन मास को वसंत ऋतु का प्रारंभ माना जाता है। इस माह की ग्यारस तिथि को चंद्रमा अपनी पूर्ण चमक पर होता है। ज्योतिष शास्त्र में, इस तिथि को अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे नई शुरुआत के लिए उपयुक्त माना जाता है।

3. धार्मिक महत्व:

ग्यारस तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। खाटू श्याम जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। इसलिए, उनके जन्मदिन को ग्यारस तिथि को मनाना विशेष महत्व रखता है।

4. ऐतिहासिक महत्व:

ऐतिहासिक तौर पर, खाटू श्याम जी का मंदिर फाल्गुन मास की ग्यारस तिथि को ही स्थापित किया गया था। इसलिए, इस तिथि को उनके जन्मदिन के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

निष्कर्ष:

खाटू श्याम जी का जन्मदिन फाल्गुन मास की ग्यारस तिथि को मनाने के पीछे कई धार्मिक, ज्योतिषीय और ऐतिहासिक कारण हैं। यह तिथि उनके भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है और इस दिन उनके दर्शन करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

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